Thursday, June 26, 2008

जीवन साथी - Life partner

छवि उकेरी थी मन में जीवन साथी की,
कितनी ही विशेषताए उसमे चाही थी।
शायद कुछ ज़्यादा ही चाहा था उसमे,
मन से लेकर काया तक सुन्दरता चाही थी।।
मेने चाहा था की संगिनी कुछ मोटी हो,
कुछ चंचल, हसमुख, कोमल और कुछ छोटी हो।
स्वाभिमानी तो हो ही, अभिमानी भी हो ज़रा,
शांत रहे हरदम पर कोई न सके डरा।
कर्तव्यपरायणता भी हो उसमे कूट कूट कर भरी,
सुन्दरता और कामुकता में भी हो सोलह आने खरी।
कुछ मासूम और हठी भी हो छोटे बच्चो जैसी,
पर पवित्र हो पूर्ण रूप से गंगा यमुना जैसी।
और बहुत कुछ सोच सोच कर जाने क्या क्या मान लिया,
परी हो तुम किसी परीलोक की यह सच मेने जान लिया।

सोचा था यह मेरी कोरी कल्पना मात्र ही होगी,
ऐसी कोई लड़की शायद ही कभी कही होगी।
पर जबसे देखा है तुमको सब सपने साकार लगे,
ऐसा लगता है मनो लेने विचार आकर लगे।
देखा तुमको जैसे ही, लगा स्वप्नलोक पहुच गया,
पर जब होश सम्हाले मैंने, पाया ख़ुद का एक अस्तित्व नया।

मिल कर तुमसे मैंने पाया, तुम्ही तो हो जिसकी मुझे तलाश थी।
मिल कर तुमसे मैंने पाया, तुम्ही तो हो जिसकी मुझे प्यास थी।
तुम्ही तो हो जिसकी चाहत में ख़ुद की चाहत को चाह रहा।
तुम्ही तो हो जिसकी चाहत में राह सदा से सवार रहा।
तुम्ही तो हो, कल्पना जिसकी मुझे रोमांचित कर देती थी।
तुम्ही तो हो, जो दिल के सारे तार झंकृत कर देती थी।
तुम्ही ने उकसाया था मुझको मेरे सपनो में आकर,
कहती थी दुनिया जीतो तभी मिलूंगी आकर।

मुझे खुशी तो है ही, साथ ही अनजाना भय सता रहा,
किस्मत कब किस करवट बैठे, यह किसको कब पता रहा।

हो सकता है मन में उसके कोई और छबि हो समाई ।
हो सकता है मुझको ही उसकी देना पड़े विदाई।
हो सकता है वह मेरे जीते जी हो जाए पराई।
हो सकता है आग बुझे ना जो थी उसने लगाई।

शायद वो समझे इसको एक पागल का पागलपन ,
या शायद समझे इसे दिल जले का जलता मन।
या शायद कोरी कल्पना मान कर इसे हसी में उड़ा दे,
या शायद मेरे दुःख में शामिल हो कुछेक अश्रु बहा दे।

पर आंखे मूँद कर जब भी वो ध्यान लगाएगी,
पागल की जगह मुझे और मेरा पागलपन ख़ुद को पाएगी।

1 comment:

samar said...

शायद वो समझे इसको एक पागल का पागलपन ,
या शायद समझे इसे दिल जले का जलता मन।
या शायद कोरी कल्पना मान कर इसे हसी में उड़ा दे,
या शायद मेरे दुःख में शामिल हो कुछेक अश्रु बहा दे।

पर आंखे मूँद कर जब भी वो ध्यान लगाएगी,
पागल की जगह मुझे और मेरा पागलपन ख़ुद को पाएगी।
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these line are especially beautiful
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Lafzon mein titli kaid thi,
Aaj woh akaash mein aazaad hai.

Ai Kavi!Tasveer teri khwaishon ki zarroor lajwaab hai,
mukammal tere aaj mein kal ki pukar hai.



(kal shabdon mein ujla tha,
aaj uljhi zulfon mein teri annch hai)
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keep writing bro.